ऑनलाइन शिक्षा पर निबंध – Essay on Online education in hindi 250 words :
Introduction :
शिक्षा हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, यह हमारा भविष्य बना भी सकती है और अगर इसपर सही तरीके से ध्यान न दिया जाये तो, बिगाड़ भी सकती है। ऑनलाइन शिक्षा में सीखने और सिखाने की प्रक्रिया इलेक्ट्रॉनिक माध्यम के द्वारा होती है जो डिजिटल प्लेटफार्मों के माध्यम से कराई जाती है। यह छात्रों को प्रौद्योगिकी के माध्यम से शैक्षिक अनुभव प्राप्त करने में सक्षम बनाती है। ऑनलाइन शिक्षा एनीमेशन, ऑडियो, वीडियो और इमेजेज के रूप में डिजिटल प्लेटफार्मों के द्वारा की जा सकती है।
कोविड -19 महामारी के कारण दुनिया भर के स्कूलों को बंद कर दिया गया है। विश्व स्तर पर, 1.2 बिलियन से अधिक बच्चे कक्षा से बाहर हैं। परिणामस्वरूप, शिक्षा ई-लर्निंग के माध्यम से काफी बदल गई है, जिसे डिजिटल प्लेटफार्मों पर कराया जा रहा है।
दुनिया भर में वर्तमान में 186 देशों में 1.2 बिलियन से अधिक बच्चे हैं जो इस महामारी के कारण स्कूल बंद होने से प्रभावित हुए है। ऑनलाइन शिक्षा की अधिक मांग होने के कारण, कई ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफॉर्म अपनी सेवाओं को मुफ्त प्रदान कर रहे हैं, जिसमें BYJU’S और Unacademy जैसे प्लेटफॉर्म शामिल हैं।
Conclusion :
ऑनलाइन शिक्षा के क्षेत्र में कुछ चुनौतियां भी हैं जिन्हें दूर करना होगा। इंटरनेट एक्सेस और प्रौद्योगिकी के बिना छात्र डिजिटल लर्निंग प्लेटफॉर्मो पर शिक्षा प्राप्त नहीं कर सकते। ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम से पारंपरिक कक्षा की तुलना में 40-60% तक समय भी कम लगता है क्योंकि छात्र अपनी गति के अनुसार, कभी भी और कही भी सीख सकते हैं। ऑनलाइन शिक्षा ने शिक्षण को सरल और सुगम बना दिया है क्योंकि छात्रो को अपने अनुसार उपयुक्त समय पर अध्ययन करने की स्वतंत्रता होती है लेकिन यह भी सच है कि ऑनलाइन सीखने के लिए छात्र में शिक्षा के प्रति जूनून और मोटिवेशन होना जरुरी है।
Introduction :
शिक्षा हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, यह हमारा भविष्य बना भी सकती है और अगर इसपर सही तरीके से ध्यान न दिया जाये तो, बिगाड़ भी सकती है। ऑनलाइन शिक्षा में सीखने और सिखाने की प्रक्रिया इलेक्ट्रॉनिक माध्यम के द्वारा होती है जो डिजिटल प्लेटफार्मों के माध्यम से कराई जाती है। यह छात्रों को प्रौद्योगिकी के माध्यम से शैक्षिक अनुभव प्राप्त करने में सक्षम बनाती है। ऑनलाइन शिक्षा एनीमेशन, ऑडियो, वीडियो और इमेजेज के रूप में डिजिटल प्लेटफार्मों के द्वारा की जा सकती है। कोविड -19 महामारी के कारण दुनिया भर के स्कूलों को बंद कर दिया गया है।
विश्व स्तर पर, 1.2 बिलियन से अधिक बच्चे कक्षा से बाहर हो गए । परिणामस्वरूप, शिक्षा ई-लर्निंग के माध्यम से काफी बदल गई है, जिसे डिजिटल प्लेटफार्मों पर कराया जा रहा है। दुनिया भर में वर्तमान में 186 देशों में 1.2 बिलियन से अधिक बच्चे हैं जो इस महामारी के कारण स्कूल बंद होने से प्रभावित हुए है। ऑनलाइन शिक्षा की अधिक मांग होने के कारण, कई ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफॉर्म अपनी सेवाओं को मुफ्त प्रदान कर रहे हैं, जिसमें BYJU’S और Unacademy जैसे प्लेटफॉर्म शामिल हैं। ऑनलाइन शिक्षा के क्षेत्र में कुछ चुनौतियां भी हैं जिन्हें दूर करना होगा। इंटरनेट एक्सेस और प्रौद्योगिकी के बिना छात्र डिजिटल लर्निंग प्लेटफॉर्मो पर शिक्षा प्राप्त नहीं कर सकते।
ऑनलाइन शिक्षा के लाभ –
जैसा कि हम में से कई लोग जानते है कि ई-लर्निग डिस्टेंट शिक्षा का एक रूप है। जँहा शिक्षक दूर बैठे, चाहे वो जगह घर मे हो या घर के बहार कहि से भी अपने विद्यार्थी को शिक्षा प्रदान कर सकता है। इसके द्वारा शिक्षक ओर विद्यार्थी अपने विचारों को आदान प्रदान कर रहे है, जो कि शिक्षा को समझने का अच्छा जरिया है।
- बदलते परिवेश में टेक्नोलॉजी में भी कई बदलाब हुए है और इसके उपयोग भी बड़े है। टेक्नोलॉजी के वजह से शिक्षा लेने की पद्दति में भी बहुत से परिवर्तन देखने को मिले है। आज ऑनलाइन शिक्षा में उपयोग होने वाली शिक्षण सम्बंधित सामग्री, टेक्नोलॉजी से ऑनलाइन ही एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजी जा सकती है।
- चाहे आप दुनिया के किसी भी कोने में ही क्यों ना हो, आप शिक्षण सामग्री को बस कुछ ही समय में दूसरे स्थान पर पंहुचा सकते है। जैसे कोई लिंक, शिक्षा समन्धित कोई वीडियो, कोई फाइल। ये सभी प्रकार ऑनलाइन शिक्षा को ओर भी रचनात्मक बनातेहै।
- ऑनलाइन शिक्षा से समय की बचत होती है। इसमें ना ही कोई दूर जाकर शिक्षा लेनीहै और नाही ट्रांसपोर्ट का खर्चा करना है। यही नहीं ऑनलाइन शिक्षा में ट्यूशन या बड़े -बड़े कोचिंग सेंटर का खर्च भी नहीं होता है।
- ऑनलाइन ही सभी पढ़ाई हो रही है, जिसकी बजह से समय की बचत के साथ पेसो की भी बचत हो रही है। साथ ही विद्यार्थी अपने ही घर मे सुकून से शिक्षा ग्रहण कर सकता है। ऑनलाइन शिक्षा की वजह से आने जाने की थकान और रोज के खर्चे से अच्छी खासी बचत हो जातीहै।
- ऑनलाइन शिक्षा का एक लाभ ये भी है कि आप के पास विकल्प रहते है। ऑनलाइन शिक्षा में आप कब किस शिक्षक या आप किस विषय की पढ़ाई करना चाहते है इसका विकल्प आपको मिलता है। आप आपके अनुसार इसे निश्चित कर सकते है। विषय को चुनने के साथ ही आप टोपिक को चुन कर अपने शिक्षक से उस विषय पर विचार विमर्श कर सकते है।
- ऑनलाइन शिक्षा में आपको क्लास रूम जैसा डर नहीं रहता कि आपको सतर्क रहकर शिक्षक के साथ बढ़कर नोट्स बनाने है। ऑनलाइन शिक्षा में आप अपने वीडियो को बीच मे रोककर फिर से देख सकते है। इस प्रकार नोट्स बनाने की अपेक्षा आप उसे याद भी कर सकते है।
- ऑनलाइन शिक्षा बहुत सुविधाजनक है। इसमें विद्यार्थी कहि भी बैठकर शिक्षा ले सकता है। इसके लिए कोई एक ही जगह निश्चित नहीं होती ओर गर्मी जैसे मौसम में भी विद्यार्थी को राहत प्राप्त होती है। विद्यार्थोयों को इस तिलमिलाती गर्मी में घर के बहार ही नही जाना पड़ता ओर वो घर बैठे ही शिक्षा प्राप्त कर लेतेहै।
- ऑनलाइन शिक्षा की वजह से ही बहुत से बच्चों ने वीडियो चेटिंग जैसी नई टेक्नोलॉजी को सिखा है और अपनी पढ़ाई कर रहे है।
- लगातार इस तरह की ऑनलाइन क्लासेस से बच्चे अपने टीचरों से पढ़ने का नया तरीका सिख रहे है और पढ़ने में भी रुचि ले रहे है। पढ़ाई के बदलते परिवेश ने पढ़ाई को भी मनोरंजक ओर रोमांचित बना दिया है।
- जबकि स्कूल जाकर टीचरों के संपर्क में रहकर यही पढ़ाई उन्हें बोर ओर थकावट भरी लगती हैं। टेक्नोलॉजी की जानकारी उन्हें मजेदार लगने के साथ ही, घर में रहकर पढाना बच्चो को ज्यादा दिलचस्प और आरामदाय लग रहाहै।
ऑनलाइन शिक्षा के नुकसान –
ऑनलाइन शिक्षा के जँहा बहुत से लाभ है वही इसके नुकसान भी है। जो की शारीरिक से लेकर मानसिक रूप में भी सही नहीं दिखाई पड़ते है।
- ऑनलाइन से सबसे बड़ा नुकसान यही है कि माता -पिता चाहे उनके आर्थिक परिस्थिति के विपरित जाकर बच्चों को मोबाइल, लेपटॉप, कम्प्यूटर जैसी सुविधा उपलब्ध करा दे। पर बच्चे क्या उससे सही शिक्षा ले रहे है, इन बातों से वो अनजान रहते है। और बच्चे इसी बात का गलत फायदा उठा कर उसमे गेम खेलने लगते है। या गलत चीजे खोल लेते है, जो कि उनके लिए सही नहीं है।
- ऑनलाइन शिक्षा का दूसरा नुकसान शिक्षक और बच्चों में सामंजस्य स्थापित नहीं हो पाना है। यदि यही शिक्षा पारंपरिक रूप में होती, तो विद्यार्थी नहीँ समझ आने पर क्लास में टीचर से उसी वक्त उस विषय पर डिसकस कर लेता है।
- परंतु ऑनलाइन शिक्षा में इस तरह से शिक्षक बच्चों को समझा नहीं पाते और विद्यार्थी भी समझ नहीं पाता और विषय दोनों के रूप में अनुकूल नहीं रह पाता। ऑनलाइन शिक्षा में उस तरह का माहौल नहीँ बन पाता, जिस प्रकार का माहौल एक क्लास रूम में होना चाहिए।
- ऑनलाइन शिक्षा के उपयोग से शिक्षक और स्टूडेंट दोनों को ही शारीरिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
- बच्चे जब 6-8 घण्टे लगातार ऑनलाइन शिक्षा ग्रहण करते है, तो कम्प्यूटर, लेपटॉप की स्क्रीन की रोशनी से उनकी आँखों मे बुरा असर पड़ता है। जिससे उनकी स्किन ओर बॉडी डल हो रही है, जो कि शारीरिक तौर पर काफी नुकसान दायक है।
- जब कोइ विद्यार्थी स्कूल में जाकर अपनी पढ़ाई पर सही तरह से ध्यान नहीं दे पाता, तो ऑनलाइन शिक्षा में कहा ध्यान दे पाएगा। उसमे वो डर नहीं रहता जो कि स्कूल में पढ़ाई करते वक्त विद्यार्थी में रहता है। ऑनलाइन शिक्षा में विद्यार्थी कई तरह के बहाने बना कर बीच मे ही अपना लेसन छोड़ देता है, जो कि गलत है।
- ऑनलाइन शिक्षा सभी के लिए उपलब्ध नहीं हो पाती। जो व्यक्ति दो वक्त की रोटी के लिए ही दिन रात एक कर देता है, वो अपने बच्चों के लिए कम्प्यूटर, मोबाइल ओर लेपटॉप जैसी सुविधा कहा से उपलब्ध करा सकता है। जिसके चलते गरीब घर के बच्चों की पढ़ाई आगे नहीं बढ़ पाती और वो घर मे ही रहने को मजबूर हो जाते है।
Conclusion :
ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम से पारंपरिक कक्षा की तुलना में 40-60% तक समय भी कम लगता है क्योंकि छात्र अपनी गति के अनुसार, कभी भी और कही भी सीख सकते हैं। ऑनलाइन शिक्षा ने शिक्षण को सरल और सुगम बना दिया है क्योंकि छात्रो को अपने अनुसार उपयुक्त समय पर अध्ययन करने की स्वतंत्रता होती है लेकिन यह भी सच है कि ऑनलाइन सीखने के लिए छात्र में शिक्षा के प्रति जूनून और मोटिवेशन होना जरुरी है।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर निबंध
Introduction :
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को देश की शिक्षा प्रणाली में समयनुसार उचित बदलाव करने के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा 29 जुलाई, 2020 को मंजूरी दी गई। यह नीति देश में स्कूल और उच्च शिक्षा प्रणालियों में परिवर्तनकारी सुधार लेन में बहुत मददगार साबित होगी। यह 21 वीं सदी की पहली शिक्षा नीति है। नई नीति का उद्देश्य 2030 तक स्कूली शिक्षा में 100% सकल नामांकन अनुपात (GER) के साथ पूर्व-माध्यमिक से माध्यमिक स्तर तक शिक्षा का सार्वभौमिकरण करना है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति द्वारा कुछ नए बदलाव लाये गए है, जिसमें भारतीय उच्च शिक्षा को विदेशी विश्वविद्यालयों में बढ़ावा देना, चार-वर्षीय बहु-विषयक स्नातक कार्यक्रम के लिए कई निकास विकल्पों के साथ प्रस्तुत करना शामिल है।
इस नई नीति का उद्देश्य भारत को वैश्विक ज्ञान महाशक्ति बनाना है। स्कूली शिक्षा में, इस नीति में पाठ्यक्रम को ओवरहाल करने, पाठ्यक्रम में कमी लाने और अनुभवात्मक शिक्षा पर जोर देने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। स्कूल में वर्तमान 10 + 2 प्रणाली को एक नयी 5 + 3 + 3 + 4 पाठ्यक्रम प्रणाली से बदल दिया जाएगा। नई नीति के अनुसार, तीन साल की आंगनवाड़ी / प्री-स्कूलिंग के साथ 12 साल की स्कूली शिक्षा होगी। स्कूल और उच्च शिक्षा में, छात्रों के लिए एक विकल्प के रूप में संस्कृत को भी सभी स्तरों पर शामिल किया जाएगा। यह नीति औपचारिक स्कूली शिक्षा के दायरे में प्री-स्कूलिंग को शामिल करेगी ।
नई शिक्षा नीति 2020 के सिद्धांत (National Education Policy 2020) की विशेषताएं
- मानव संसाधन प्रबंधन मंत्रालय अब शिक्षा मंत्रालय के नाम से जाना जाएगा।
- National Education Policy के अंतर्गत शिक्षा का सार्वभौमीकरण किया जाएगा जिसमें मेडिकल और लॉ की पढ़ाई शामिल नहीं की गई है।
- पहले 10+2 का पैटर्न फॉलो किया जाता था परंतु अब नई नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के अंतर्गत 5+3+3+4 का पैटर्न फॉलो किया जाएगा। जिसमें 12 साल की स्कूली शिक्षा होगी और 3 साल की प्री स्कूली शिक्षा होगी।
- छठी कक्षा से व्यवसायिक परीक्षण इंटर्नशिप आरंभ कर दी जाएगी।
- पांचवी कक्षा तक शिक्षा मातृभाषा या फिर क्षेत्रीय भाषा में प्रदान की जाएगी।
- पहले साइंस, कॉमर्स तथा अर्ट स्ट्रीम होती थी। अब ऐसी कोई भी स्ट्रीम नहीं होगी। छात्र अपनी इच्छा अनुसार विषय चुन सकते हैं। छात्र फिजिक्स के साथ अकाउंट या फिर आर्ट्स का कोई सब्जेक्ट भी पढ़ सकते हैं।
- छात्रों को छठी कक्षा से कोडिंग सिखाई जाएगी।
- सभी स्कूल डिजिटल इक्विप्ड किए जाएंगे।
- सभी प्रकार की इकॉन्टेंट को क्षेत्रीय भाषा में ट्रांसलेट किया जाएगा।
- वर्चुअल लैब डिवेलप की जाएंगी।
नई शिक्षा नीति 2021 के सिद्धांत
- प्रत्येक बच्चे की क्षमता की पहचान एवं क्षमता का विकास करना
- साक्षरता एवं संख्यामकता के ज्ञान को बच्चों के अंतर्गत विकसित करना
- शिक्षा को लचीला बनाना
- एक सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली में निवेश करना
- गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को विकसित करना
- बच्चों को भारतीय संस्कृति से जोड़ना
- उत्कृष्ट स्तर पर शोध करना
- बच्चों को सुशासन सिखाना एवं सशक्तिकरण करना
- शिक्षा नीति को पारदर्शी बनाना
- तकनीकी यथासंभव उपयोग पर जोर
- मूल्यांकन पर जोर देना
- विभिन्न प्रकार की भाषाएं सिखाना
- बच्चों की सोच को रचनात्मक एवं तार्किक करना
नई शिक्षा नीति 2020 के फायदे –
- नई शिक्षा नीति शिक्षार्थियों के एकीकृत विकास पर केंद्रित है।
- यह 10+2 सिस्टम को 5+3+3+4 संरचना के साथ बदल देता है, जिसमें 12 साल की स्कूली शिक्षा और 3 साल की प्री-स्कूलिंग होती है, इस प्रकार बच्चों को पहले चरण में स्कूली शिक्षा का अनुभव होता है।
- परीक्षाएं केवल 3, 5 और 8वीं कक्षा में आयोजित की जाएंगी, अन्य कक्षाओं का परिणाम नियमित मूल्यांकन के तौर पर लिए जाएंगे। बोर्ड परीक्षा को भी आसान बनाया जाएगा और एक वर्ष में दो बार आयोजित किया जाएगा ताकि प्रत्येक बच्चे को दो मौका मिलें।
- नीति में पाठ्यक्रम से बाहर निकलने के अधिक लचीलेपन के साथ स्नातक कार्यक्रमों के लिए एक बहु-अनुशासनात्मक और एकीकृत दृष्टिकोण की परिकल्पना की गई है।
- राज्य और केंद्र सरकार दोनों शिक्षा के लिए जनता द्वारा अधिक से अधिक सार्वजनिक निवेश की दिशा में एक साथ काम करेंगे, और जल्द से जल्द जीडीपी को 6% तक बढ़ाएंगे।
- नई शिक्षा नीति सीखने के लिए पुस्तकों का भोझ बढ़ाने के बजाय व्यावहारिक शिक्षा को बढ़ाने पर ज्यादा केंद्रित है।
- एनईपी यानी नई शिक्षा निति सामान्य बातचीत, समूह चर्चा और तर्क द्वारा बच्चों के विकास और उनके सीखने की अनुमति देता है।
- एनटीए राष्ट्रीय स्तर पर विश्वविद्यालयों के लिए एक आम प्रवेश परीक्षा आयोजित करेगा।
- छात्रों को पाठ्यक्रम के विषयों के साथ-साथ सीखने की इच्छा रखने वाले पाठ्यक्रम का चयन करने की भी स्वतंत्रता होगी, इस तरह से कौशल विकास को भी बढ़ावा मिलेगा।
- सरकार एनआरएफ (नेशनल रिसर्च फाउंडेशन) की स्थापना करके विश्वविद्यालय और कॉलेज स्तर पर अनुसंधान और नवाचारों के नए तरीके स्थापित करेगी।
नई शिक्षा नीति 2020 के नुकसान –
- भाषा का कार्यान्वयन यानि क्षेत्रीय भाषाओं में जारी रखने के लिए 5वीं कक्षा तक पढ़ाना एक बड़ी समस्या हो सकती है। बच्चे को क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाया जाएगा और इसलिए अंग्रेजी भाषा के प्रति कम दृष्टिकोण होगा, जो 5वीं कक्षा पूरा करने के बाद आवश्यक है।
- बच्चों को संरचनात्मक तरीके से सीखने के अधीन किया गया है, जिससे उनके छोटे दिमाग पर बोझ बढ़ सकता है।
Conclusion :
नेशनल एजुकेशन पालिसी का मुख्य उद्देश्य भारत मैं प्रदान की जाने वाली शिक्षा को वैश्विक स्तर पर लाना है। जिससे कि भारत एक वैश्विक ज्ञान महाशक्ति बन सके। नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के माध्यम से शिक्षा का सार्वभौमीकरण किया जाएगा। नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2021 में सरकार के माध्यम से पुरानी एजुकेशन पॉलिसी में काफी सारे संशोधन किए हैं। जिससे कि शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार आएगा और बच्चे अच्छी शिक्षा प्राप्त कर पाएंगे। मिड दे मील कार्यक्रम को प्री-स्कूल बच्चों तक बढ़ाया जाएगा। यह नीति यह भी प्रस्तावित करती है कि सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को 2040 तक बहु-विषयक बनने का लक्ष्य रखना होगा। यह नीति देश में रोजगार के अवसरो को बढ़ावा देगी और हमारी शैक्षिक प्रणाली को मौलिक रूप से बदल देगी।
बेटी बचाओ–बेटी पढ़ाओ पर निबंध
Introduction :
बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजना की शुरुआत भारतीय सरकार द्वारा 2015 के जनवरी महीने में हुई। इस योजना का मकसद भारतीय समाज में लड़कियों और महिलाओं के लिये कल्याणकारी कार्यों की कुशलता को बढ़ाने के साथ-साथ लोगों के बीच जागरुकता उत्पन्न करने के लिये भी है। 22 जनवरी 2015 को भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा सफलतापूर्वक इस योजना का आरंभ हुआ। इस योजना को सभी राज्य और केन्द्र शासित प्रदेशों में लागू करने के लिये एक राष्ट्रीय अभियान के द्वारा देश के 100 चुनिंदा शहरों में इस योजना को लागू किया गया ।
इस कार्यक्रम की शुरुआत करते समय प्रधनमंत्री ने कहा कि, भारतीय लोगों की ये सामान्य धारणा है कि लड़कियाँ अपने माता-पिता के बजाय पराया धन होती है। अभिवावक सोचते है कि लड़के तो उनके अपने होते है जो बुढ़ापे में उनकी देखभाल करेंगे जबकि लड़कियाँ तो दूसरे घर जाकर अपने ससुराल वालों की सेवा करती हैं। लड़कियों या महिलाओं को कम महत्ता देने से धरती पर मानव समाज खतरे में पड़ सकता है क्योंकि अगर महिलाएँ नहीं तो जन्म नहीं। इसमें कुछ सकारात्मक पहलू ये है कि ये योजना लड़कियों के खिलाफ होने वाले अपराध और गलत प्रथाओं को हटाने के लिये एक बड़े कदम के रुप में साबित होगी।
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान के उद्देश्य –
- इस अभियान के मुख्य उद्देश्य बालिकाओं की सुरक्षा करना और कन्या भ्रूण हत्या को रोकना है। इसके अलावा बालिकाओं की शिक्षा को बढ़ावा देना और उनके भविष्य को संवारना भी इसका उद्देश्य है। सरकार ने लिंग अनुपात में समानता लाने के लिए ये योजना शुरू की।
- ताकि बालिकाएं दुनिया में सर उठकर जी पाएं और उनका जीवन स्तर भी ऊंचा उठे। इसका उद्देश्य बेटियों के अस्तित्व को बचाना एवं उनकी सुरक्षा को सुनिश्चित करना भी है। शिक्षा के साथ-साथ बालिकाओं को अन्य क्षेत्रों में भी आगे बढ़ाना एवं उनकी इसमें भागीदारी को सुनिश्चित करना भी इसका मुख्य लक्ष्य है|
- इस अभियान के द्वारा समाज में महिलाओं के साथ हो रहे अन्याय और अत्याचार के विरूद्ध एक पहल हुई है। इससे बालक और बालिकाओं के बीच समानता का व्यवहार होगा।
- बेटियों को उनकी शिक्षा के लिए और साथ ही उनके विवाह के लिए भी सहायता उपलब्ध करवाई जाएगी, जिससे उनके विवाह में किसी प्रकार की दिक्कत नहीं होगी।
- इस योजना से बालिकाओं को उनके अधिकार प्राप्त होंगे जिनकी वे हकदार हैं साथ ही महिला सशक्तिकरण के लिए भी यह अभियान एक मजबूत कड़ी है।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के कार्य –
- हर थोड़े दिनों बाद हमें कन्या भ्रूण हत्या, दहेज प्रथा, महिलाओं पर शारीरिक और मानसिक अत्याचार जैसे अपराधों की खबर देखने और सुनने को मिलती है। जिसके लिए भारत देश की सरकार इन बालिकाओं को बचाने और उनके अच्छे भविष्य के लिए हर संभव कोशिश कर रही है और अलग अलग योजनाएं चला रही है|
- बालिकाओं की देखभाल और परवरिश अच्छी हो इसके लिए कई तरह के नए नियम कानून भी लागू किये जा रहे हैं। इसके साथ ही पुराने नियम कानूनों को बदला भी जा रहा है|
- इस योजना के तहत मुख्य रूप से लड़के एवं लड़कियों के लिंग अनुपात में ध्यान केन्द्रित किया गया है, ताकि महिलाओं के साथ हो रहे भेदभाव और सेक्स डेटरमिनेशन टेस्ट को रोका जा सके।
- इस अभियान का संचालन तीन स्तर पर हो रहा है, राष्ट्रीय स्तर पर, राजकीय स्तर पर और जिला स्तर पर। इस योजना में माता पिता एक निश्चित धनराशि अपनी बेटी के बैंक खाते में जमा करवाते हैं और सरकार उस राशि पर लाभ प्रदान करती है ताकि वह धनराशि बालिका की उच्च शिक्षा में और विवाह में काम आए।
- जिससे बेटियों को बोझ ना समझा जाए। सरकार इस अभियान के द्वारा बालिकाओं की सुरक्षा और उनके उज्जवल भविष्य की कामना करती है।
- इस अभियान के शुरुआती दौर में सभी ने इसका स्वागत और समर्थन किया लेकिन फिर भी ये इतना सफल नहीं हो पाया जितना सोचा गया था। बालिकाओं की स्थिति में सुधार लाने के लिए लोगों को जागरूक होना होगा और सभी को एकजुट होकर इस समस्या का समाधान करना होगा।
- एक बच्ची दुनिया में आकर सबसे पहले बेटी बनती है। वे अपने माता पिता के लिए विपत्ति के समय में ढाल बनकर खड़ी रहती है। बालिका बन कर भाई की मदद करती है। बाद में धर्मपत्नी बनकर अपने पति और ससुराल वालों का हर अच्छी बुरी परिस्थिति में साथ निभाती है।
- वह त्यागमूर्ति मां के रूप में अपने बच्चों पर सब कुछ कुर्बान कर जाती है और अपने बच्चों में अच्छे संस्कारों के बीज बोती है, जिससे वे आगे चलकर अच्छे इंसान बनें। सभी को बेटी और बेटों के साथ एक समान व्यवहार करना चाहिए।
- उन्हें समान रूप से शिक्षा और जीवन स्तर देना चाहिए, समान अधिकार और प्यार – दुलार देना चाहिए, क्योंकि किसी भी देश के विकास के लिए बेटियां समान रूप से जिम्मेदार है।
Conclusion :
हम ये आशा करते हैं कि आने वाले दिनों में सामाजिक-आर्थिक कारणों की वजह से किसी भी लड़की को गर्भ में नहीं मारा जायेगा, अशिक्षित नहीं रहेंगी, असुरक्षित नहीं रहेंगी, अत: पूरे देश में लैंगिक भेदभाव को मिटाने के द्वारा बेटी-बचाओ बेटी-पढ़ाओ योजना का लक्ष्य लड़कियों को आर्थिक और सामाजिक दोनों तरह से स्वतंत्र बनाने का है। लडकियों को लडकों के समान समझा जाना चाहिए और उन्हें सभी कार्यक्षेत्रों में समान अवसर प्रदान करने चाहिए।