भारत में आरक्षण पर निबंध – Reservation in india essay in hindi 250 words :
सरकारी सेवाओं और संस्थानों में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं रखने वाले पिछड़े समुदायों तथा अनुसूचित जातियों और जनजातियों के सामाजिक और शैक्षिक पिछड़ेपन को दूर करने के लिए सरकार ने सभी सार्वजनिक तथा निजी शैक्षिक संस्थानों में पदों तथा सीटों के प्रतिशत को आरक्षित करने की कोटा प्रणाली प्रदान की है।
अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) संविधान के तहत आरक्षण नीतियों के प्राथमिक लाभार्थी हैं। सरकार द्वारा आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए संवैधानिक संशोधन विधेयक 2018 दोनों सदनों द्वारा पारित किया गया है।
सवर्णों को दिया जाने वाला आरक्षण मौजूदा 50 फीसदी आरक्षण से अलग होगा, इस फैसले का लाभ केवल हिन्दू सवर्णों को ही नहीं बल्कि मुस्लिम और ईसाई धर्म के लोगों को भी मिलेगा ।
उदाहरण के तौर पर यदि कोई मुस्लिम सामान्य श्रेणी में आता है और वह आर्थिक रूप से कमज़ोर है तो उसे 10 प्रतिशत आरक्षण का फायदा मिलेगा. यह लाभ शिक्षा और नौकरियों के क्षेत्र में दिया जायेगा ।
प्रारंभ में, आरक्षण नीति केवल 10 वर्षों के लिए थी ताकि पिछड़े समुदायों तथा अनुसूचित जातियों और जनजातियों के सामाजिक और शैक्षिक पिछड़ेपन को दूर किया जा सके और उन्हें आर्थिक रूप से स्थिर बनाया जा सके, फिर भी आजादी के 73 वर्षों के बाद भी सरकार पिछड़े वर्गों के पिछड़ेपन को दूर करने में विफल रही है।
दुर्भाग्य से आज, हम हिंदू, मुस्लिम, एससी, एसटी, ओबीसी में बटे हैं और समाज के विभिन्न वर्गों जैसे ईसाई, जाट, पंडित, आदिवासी में नए आरक्षण के लिए विभाजित हैं। आरक्षण नीति अपने प्राथमिक उद्देश्य को प्राप्त करने में विफल रही है।
आरक्षण प्रणाली को वंचित वर्ग को एक बेहतर मुकाम हासिल करने और स्वतंत्र राष्ट्र के लाभ उठाने में मदद करने के दृष्टिकोण से लाया गया था। बुराई को दूर करना ही समय की जरूरत है। आर्थिक स्थिति के आधार पर आरक्षण को लागू किया जाना चाहिए।
आरक्षण का त्याग नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि, हर व्यक्ति चाहता है कि समाज का विकास समग्र रूप से हो और सभी को विकास का लाभ मिले।